शीतकाल में तो पौष्टिक नुस्खों और पदार्था का सेवन किया ही जाता है लेकिन अगर ग्रीष्म ऋतु में शारीरिक दुर्बलता और धातु दौर्बल्य दूर करना जरूरी हो तो शीत काल की प्रतीक्षा नहीं की जा सकती। ऐसे यौन दौर्बल्य के शिकार पुरुष के लिए ग्रीष्म काल में सेवन योग्य एक नुस्खा प्रस्तुत है-
नुस्खा-
सूखे सिंघाड़े और मखाने- दोनों इच्छित समान मात्रा में अलग-अलग कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें। दोनों को अच्छी तरह से मिला कर बर्न में भर लें। एक गिलास कुनकुने गर्म दूध में यह चूर्ण एक छोटा चम्मच (5 ग्राम), पिसी मिश्री एक चम्मच और एक लौंग, एक काली मिर्च तथा एक छोटा टुकड़ा दाल चीनी- तीनों को पीस कर डाल दें और गरम किया हुआ शुद्ध घी एक चम्मच डाल दें। इसे सुबह नित्यक र्मा से निवृत्त हो कर सूर्योदय से पहले घू्ंट घू्ंट कर पी लें। यह प्रयोग 60 दिन तक करने से शरीर हिष्ट पुष्ट और शक्तिशाली होता है तथा बलवीर्य की वृद्धि होती है।
परहेज-
तले हुए, तेज मिर्च मसालेदार, खट्टे पदार्थ, खटाई (इमली,अमचूर व कबीट), मांसाहार शराब तथा उष्ण प्रकृति के पदार्था का सेवन न करें।