त्वम्ग्रे गृहपतिस्त्वं होता नो अध्वरे। त्वं पोता विश्ववार प्रचेता यक्षि यासि च वार्यम्।। : - ऋग्वेद हे प ...
त्वम्ग्रे गृहपतिस्त्वं होता नो अध्वरे। त्वं पोता विश्ववार प्रचेता यक्षि यासि च वार्यम्।। : - ऋग्वेद हे परमेश्वर ! आप हमारे हृदय मन्दिर के स्वामी हैं, उपासना यज्ञ के ऋत्वक और याजक हैं, आप सबको पवित्र ...